पहलगाम हमले का अवलोकन और परिणाम

पहलगाम हमले का अवलोकन और परिणाम

हमलावरों ने मृत शरीरों के साथ सेल्फी ली और वीडियो रिकॉर्ड किए, एक ईसाई से फिलिस्तीन के बारे में बोलने को कहा गया।

प्रारंभिक लक्ष्य एक होटल था, जिसे बाद में पहलगाम में बदल दिया गया।

हमले से पहले पहलगाम क्षेत्र की उपग्रह छवियों की मांग अचानक दोगुनी हो गई थी।

ओजीडब्ल्यू (ओवर ग्राउंड वर्कर) को पकड़ा गया और पूछताछ की गई।

मैक्सार टेक्नोलॉजीज ने पाकिस्तानी कंपनी बीएसआई के साथ अपनी साझेदारी तुरंत तोड़ दी।

यह एक सुनियोजित जाल था, न कि कोई यादृच्छिक गोलीबारी।

टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) ने हमले की जिम्मेदारी ली।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने हमले की निंदा की, लेकिन पाकिस्तान ने मसौदा बयान में टीआरएफ का नाम शामिल करने का विरोध किया।

चीन ने पाकिस्तान के कहने पर संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति में टीआरएफ को ब्लैकलिस्ट करने के भारत के प्रस्ताव को रोक दिया।

पाकिस्तान ने गर्व से अपनी संसद में घोषणा की कि टीआरएफ का नाम सूची से हटा दिया गया है।

मुख्य हमलावर (मूसा, अली भाई, आदिल ठोकर) अभी भी फरार हैं और किश्तवाड़ के जंगलों में उनकी तलाश जारी है।

Pahalgam Attack Main Suspects

ओजीडब्ल्यू और आतंकवादियों के घरों को नष्ट कर दिया गया।

क्षेत्र को सैनिटाइज किया गया, पर्यटकों के बयान लिए गए, स्केच बनवाए गए और कार्रवाई शुरू की गई।

पाकिस्तान का आतंकवाद से संबंध और एफएटीएफ

एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी के कारण पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में डाल दिया था।

ग्रे लिस्ट में डाले जाने से पाकिस्तान को आईएमएफ और विश्व बैंक से मिलने वाले ऋणों में समस्या हुई।

एफएटीएफ के दिशानिर्देशों में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जैसे संगठनों के वित्तपोषण को रोकने के लिए कहा गया था।

पाकिस्तान ने अनुपालन दिखाने के लिए छोटे-मोटे कदम उठाए, रिपोर्टें प्रस्तुत कीं और एलईटी नेताओं को जेल में डाला।

14 फरवरी 2019 को भारत में पुलवामा हमला हुआ; भारत ने उमर के खाते में पाकिस्तान से $10.43 लाख रुपये जमा होने जैसे सबूतों का एक डोजियर एफएटीएफ सदस्य देशों को भेजा।

17-22 फरवरी तक पेरिस में एफएटीएफ की बैठक हुई और पाकिस्तान को अंतिम चेतावनी दी गई कि अगर ऐसा कुछ फिर हुआ तो उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।

इसके बाद पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) की गतिविधियां धीमी पड़ गईं।

5 अगस्त 2019 को भारत ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया।

पाकिस्तान चारों तरफ से फंस गया था, सैन्य कार्रवाई नहीं कर सकता था, और उसके प्रॉक्सी संगठन एफएटीएफ की निगरानी में थे।

इस स्थिति से निपटने के लिए, पाकिस्तान ने अक्टूबर 2019 में द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) नामक एक नया आतंकवादी संगठन बनाया, ताकि कश्मीर में लड़ाई जारी रखी जा सके और इसे एक स्थानीय कश्मीरी समूह का भ्रम दिया जा सके।

टीआरएफ के संचालन की जिम्मेदारी पुराने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों के हाथों में थी।

टीआरएफ ने तहरीक मिल्लत इस्लामिया, गजनवी हिंद, हिजबुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के कुछ लोगों को भर्ती किया।

हाशिम मूसा, जो पाकिस्तानी सेना का एसएसजी पैरा कमांडो था, उसे लश्कर-ए-तैयबा को "लोन" पर दिया गया था और वह पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड है।

एनआईए की प्रारंभिक जांच और भारतीय समाचार एजेंसियों ने मूसा की भूमिका की पुष्टि की है।

संयुक्त राष्ट्र, स्वतंत्र खुफिया फर्मों जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने अपनी रिपोर्टों में कहा है कि पाकिस्तान कश्मीर जैसे क्षेत्रों में प्रॉक्सी युद्ध के लिए आतंकवादी संगठनों का उपयोग करता है।

पाकिस्तानी सेना और आईएसआई इसे आतंकवाद नहीं बल्कि एक सुनियोजित सैन्य सिद्धांत मानते हैं।

यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशिया स्टडीज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का आतंकवादी समूहों के साथ एक अपवित्र गठबंधन है, और उन्होंने आतंकवादी समूहों को $125-250 मिलियन दिए हैं।

अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि पाकिस्तान की आईएसआई अभी भी भारत पर केंद्रित आतंकवादी समूहों को आश्रय दे रही है।

कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की रिपोर्ट संख्या R41832 में दर्ज है कि पाकिस्तान की आईएसआई भारत विरोधी आतंकवादी संगठनों से जुड़ी है और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों को गुप्त रूप से वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और रणनीतिक मार्गदर्शन दे रही है।

सीआरएस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान में 15 आतंकवादी समूह हैं, जिनमें से एक का समर्पित कार्य कश्मीर में आतंकवाद फैलाना है।

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया कि वे कश्मीर में लड़ने के लिए आतंकवादियों को प्रशिक्षण देते हैं और उन्हें "हमारे नायक" मानते हैं।

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने स्वीकार किया कि लश्कर-ए-तैयबा जैसे गैर-राज्य अभिनेताओं ने मुंबई पर हमला करने के लिए पाकिस्तानी धरती का इस्तेमाल किया।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी हाफिज अब्दुल रऊफ के साथ पाकिस्तानी नेतृत्व की तस्वीरें भी सामने आई हैं।

Pakistani Leadership with Terrorist

टीआरएफ नेतृत्व और नेटवर्क

मोहम्मद अब्बास शेख (1996 से एलईटी का पुराना आतंकवादी) को टीआरएफ का प्रमुख/संस्थापक बनाया गया, हालांकि वास्तविक संस्थापक पाकिस्तान में थे।

शेख सज्जाद गुल (एलईटी का विश्वसनीय व्यक्ति, एमबीए) मोहम्मद अब्बास शेख के साथ था और उसने पहलगाम हमले की पूरी योजना बनाई थी।

सज्जाद गुल का भाई खाड़ी देशों में आतंकवाद के वित्तपोषण का काम संभालता है।

फारूक अहमद (2016 के बाद पीओके के मुजफ्फराबाद में रहने वाला) कश्मीर में टीआरएफ के ओजीडब्ल्यू नेटवर्क का प्रबंधन करता था और पाकिस्तान से आतंकवादियों को एलओसी पार करवाता था।

ओजीडब्ल्यू (ओवर ग्राउंड वर्कर) वे कश्मीरी हैं जो भारत से नफरत करते हैं लेकिन हथियार नहीं उठाते; वे आतंकवादियों को भोजन, आश्रय, सेना की जानकारी और क्षेत्र का विवरण प्रदान करके मदद करते हैं।

आतंकवादी सांबा, कठुआ, राजौरी और पुंछ सेक्टरों से कश्मीर में घुसते थे।

वे किश्तवाड़ मार्ग (घने जंगल, प्राकृतिक गुफाएं, उच्च ऊंचाई) का उपयोग करते थे ताकि पता न चल सके।

2022 तक, टीआरएफ ने अपना नेटवर्क स्थापित कर लिया था, अपने आतंकवाद मॉडल को रीब्रांड किया, ऑनलाइन पोर्टल और टेलीग्राम (टीजेआरएफ चैनल) का उपयोग प्रचार के लिए किया।

टीआरएफ ने गैर-स्थानीय लोगों और मजदूरों को निशाना बनाकर हमले किए (जैसे लाल चौक, अजय पंडित, आकाश मेहरा)।

अगस्त 2023 में श्रीनगर के अलोची बाग में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने टीआरएफ प्रमुख मोहम्मद अब्बास शेख को मार गिराया।

अब्बास शेख की मृत्यु के बाद शेख सज्जाद गुल को टीआरएफ का प्रमुख बनाया गया।

TRF New Chief Sajjad Gul

कश्मीर में बदलती स्थिति और टीआरएफ की प्रतिक्रिया

पत्थरबाजी के मामलों में भारी कमी आई (2018 में 1458 से 2023-2024 में 0)।

आतंकवादी मामलों में कमी आई (2018 में 228 से 2023 में टीआरएफ द्वारा 44)।

पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई (2018 में 8.5 लाख से 2024 में 43 लाख)।

निवेश में वृद्धि हुई (2019 में 296.64 करोड़ से 2022 में 2153 करोड़)।

डोमिसाइल कानूनों ने गैर-कश्मीरियों को भी डोमिसाइल प्रमाण पत्र प्राप्त करने की अनुमति दी।

टीआरएफ का मुख्य लक्ष्य कश्मीर के व्यापार, पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बाधित करना था, जिसके लिए उन्होंने गैर-स्थानीय लोगों और डोमिसाइल धारकों पर हमला किया।

हमलों के बावजूद, पर्यटन और अर्थव्यवस्था में तेजी जारी रही।

Tourism and Economy Growth

यहां एक माइंड मैप है जो पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधों को दर्शाता है:

पाकिस्तान का आतंकवाद से संबंध