बिहार का राजनीतिक परिदृश्य 1950-2025

1950 से 2025 तक का संपूर्ण इतिहास

जाति समुदाय क्षेत्रीयता नेतृत्व

परिचय: बिहार का राजनीतिक परिदृश्य

बिहार की राजनीति जाति, समुदाय, क्षेत्रीयता और करिश्माई नेतृत्व का एक जटिल ताना-बाना है। स्वतंत्रता के बाद यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वर्चस्व में रही, लेकिन 1960 के दशक के अंत में कांग्रेस-विपक्ष गठबंधनों का दौर शुरू हुआ। 1990 के दशक में मंडल राजनीति (सामाजिक न्याय) और मंदिर राजनीति (हिंदुत्व) के उदय ने कांग्रेस के वर्चस्व को तोड़ दिया और पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के नेताओं को केंद्र में ला दिया। तब से राजनीतिक कथा समाजवादी विचारधारा, जाति-आधारित लामबंदी और रणनीतिक गठबंधनों का अस्थिर मिश्रण रही है, जिसमें मुख्य रूप से जनता दल (यूनाइटेड) [जेडीयू], राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शामिल रहे।

चरण 1: कांग्रेस का वर्चस्व (1950 - 1967)

1952-1957: पहली बिहार विधानसभा

कांग्रेस
  • शासक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • मुख्यमंत्री: श्रीकृष्ण सिंह (श्री बाबू)
  • प्रमुख नेता: अनुग्रह नारायण सिंह (उपमुख्यमंत्री और मुख्य योजनाकार), बिहार कांग्रेस के नेता
  • विवरण: यह "कांग्रेस दिग्गज" श्री बाबू का दौर था, जो स्वतंत्रता से पहले भी बिहार के प्रीमियर थे। उनके कार्यकाल में भूमि सुधार (जमींदारी उन्मूलन अधिनियम, 1950), शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और स्वतंत्रता के बाद प्रशासनिक ढांचे का निर्माण किया गया। विपक्ष बिखरा हुआ और कमजोर था।

1957-1962: दूसरी विधानसभा

कांग्रेस
  • शासक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • मुख्यमंत्री: श्रीकृष्ण सिंह (1961 में निधन तक), उसके बाद थोड़े समय के लिए दीप नारायण सिंह, फिर बिनोदानंद झा
  • विवरण: कांग्रेस का वर्चस्व जारी रहा। भूमि सुधार और आर्थिक ठहराव को लेकर असंतोष के पहले संकेत दिखने लगे

1962-1967: तीसरी विधानसभा

कांग्रेस
  • शासक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • मुख्यमंत्री: बिनोदानंद झा (1961-63), उसके बाद के.बी. सहाय (1963-67)
  • विवरण: इस दौर में गैर-कांग्रेसी भावनाओं का उदय हुआ। 1967 का चुनाव कांग्रेस के अजेय शासन का अंत साबित हुआ, जिसका कारण था खाद्य संकट, बेरोजगारी और कांग्रेस के भीतर गुटबाजी

चरण 2: अस्थिरता और समाजवाद का उदय (1967 - 1990)

1967: चौथी विधानसभा - पहली गैर-कांग्रेसी सरकार

एसवीडी गठबंधन
  • शासक गठबंधन: संयुक्त विधायक दल (SVD) – समाजवादी दलों, जनसंघ और कांग्रेस के बागी गुटों का कमजोर गठबंधन
  • मुख्यमंत्री: महामाया प्रसाद सिन्हा (पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री)। उनकी सरकार जल्द ही गिर गई
  • प्रमुख नेता: कर्पूरी ठाकुर (समाजवादी नेता), बी.पी. मंडल (बाद में मंडल आयोग के अध्यक्ष)
  • विवरण: इसने राजनीतिक अस्थिरता के लंबे दौर की शुरुआत की, जिसमें अल्पकालिक सरकारें और राष्ट्रपति शासन बार-बार लागू हुआ। 1969 में कांग्रेस का विभाजन (कांग्रेस (ओ) और इंदिरा गांधी की कांग्रेस (आई)) ने राजनीति को और खंडित कर दिया

1969-1972: राष्ट्रपति शासन और चुनाव

  • 1969 में राष्ट्रपति शासन लगाया गया। चुनावों में इंदिरा गांधी की कांग्रेस (आई) सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन बहुमत से दूर रही।
  • मुख्यमंत्री: दरोगा प्रसाद राय (कांग्रेस-आई के समर्थन से), फिर 1970 में कर्पूरी ठाकुर (गैर-कांग्रेसी गठबंधन) जो जल्द ही गिर गया।
  • विवरण: अत्यधिक अस्थिरता, एक ही कार्यकाल में कई मुख्यमंत्री।

1972-1977: पाँचवीं विधानसभा - कांग्रेस की वापसी

  • शासक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई)
  • मुख्यमंत्री: केदार पांडे (1972-73), फिर अब्दुल गफूर (1973-75)। आपातकाल (1975-77) के दौरान राष्ट्रपति शासन।
  • विवरण: 1971 के बांग्लादेश युद्ध के बाद "इंदिरा लहर" ने कांग्रेस को बहुमत दिलाया। यह दौर जेपी आंदोलन (1974) के लिए जाना गया, जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष किया और अंततः राष्ट्रीय आपातकाल (1975-77) का मार्ग प्रशस्त किया।

1977-1980: छठी विधानसभा - जनता पार्टी की लहर

  • शासक दल: जनता पार्टी (आपातकाल के बाद सभी गैर-कांग्रेसी दलों का विलय)
  • मुख्यमंत्री: कर्पूरी ठाकुर
  • प्रमुख नेता: रामसुंदर दास, जगन्नाथ मिश्र (कांग्रेस)।
  • विवरण: 1978 में कर्पूरी ठाकुर ने "कर्पूरी ठाकुर फार्मूला" लागू किया, जिसके तहत बिहार में पिछड़ों के लिए 26% आरक्षण दिया गया। यह मंडल राजनीति की नींव थी। उनकी सरकार आंतरिक मतभेदों के कारण गिर गई।

1980-1989: सातवीं और आठवीं विधानसभा - कांग्रेस का अंतिम कार्यकाल

  • शासक दल: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई)
  • मुख्यमंत्री: जगन्नाथ मिश्र (1980-83), चंद्रशेखर सिंह (1983-85), बिंदेश्वरी दुबे (1985-88), भागवत झा आजाद (1988-89), सत्येंद्र नारायण सिंह (1989)।
  • विवरण: कांग्रेस सत्ता में तो रही, लेकिन क़ानून-व्यवस्था की भारी समस्या, भ्रष्टाचार और आर्थिक विकास की विफलता से जूझती रही। बदलाव की जमीन तैयार हो चुकी थी।

चरण 3: मंडल क्रांति और राजद का वर्चस्व (1990 - 2005)

1990-1995: नवमी विधानसभा - लालू प्रसाद यादव का उदय

  • शासक दल: जनता दल (जेडी)
  • मुख्यमंत्री: लालू प्रसाद यादव
  • प्रमुख नेता: नीतीश कुमार, जॉर्ज फर्नांडिस, रामविलास पासवान (सभी शुरू में जनता दल में थे)।
  • विवरण: यह एक ऐतिहासिक क्षण था। केंद्र में वी.पी. सिंह सरकार द्वारा मंडल आयोग की सिफारिशें (ओबीसी के लिए 27% आरक्षण) लागू करने से लालू यादव ओबीसी, खासकर यादव जाति के प्रतीक बन गए। वे सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के प्रतीक थे। लेकिन उनका कार्यकाल चारा घोटाले (1996) से कलंकित हुआ।

1995-2000: दसवीं विधानसभा - राजद का दौर शुरू

  • शासक दल: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) (लालू ने 1997 में जनता दल से अलग होकर राजद बनाया)।
  • मुख्यमंत्री: लालू प्रसाद यादव ने 1997 में चारा घोटाले में चार्जशीट होने के बाद इस्तीफा देकर पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया।
  • प्रमुख नेता: राबड़ी देवी, मोहम्मद शहाबुद्दीन (विवादित बाहुबली)।
  • विवरण: मुस्लिम-यादव (एमवाई) वोट बैंक पूरी तरह लालू के साथ आ गया। शासन को भ्रष्ट और अराजक ("जंगल राज") माना गया, लेकिन उनके जनवादी उपायों ने चुनावी जीत सुनिश्चित की। भाजपा और समता पार्टी (नीतीश कुमार, जॉर्ज फर्नांडिस) विपक्ष के रूप में उभरे।

2000-2005: ग्यारहवीं विधानसभा - एनडीए का उदय और अधूरे जनादेश

  • हालात: चुनावों में अधूरा जनादेश।
  • शासक गठबंधन: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) – समता पार्टी (बाद में जेडीयू) और भाजपा।
  • मुख्यमंत्री: नीतीश कुमार (2000 में 7 दिन के लिए, सरकार गिर गई)। फिर राबड़ी देवी (राजद) कमजोर गठबंधन के सहारे लौटीं। बाद में राष्ट्रपति शासन लगा।
  • 2005: फिर से चुनाव हुए, लेकिन अधूरा जनादेश मिला और राष्ट्रपति शासन लागू हुआ।
  • प्रमुख नेता: नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी (भाजपा), लालू प्रसाद यादव।
  • विवरण: यह दौर राजद के पूर्ण वर्चस्व के अंत का प्रतीक था। नीतीश कुमार विकास-केन्द्रित छवि वाले नेता बनकर उभरे।

चरण 4: नीतीश कुमार का दौर - विकास और राजनीतिक पलटियाँ (2005 - वर्तमान)

नवंबर 2005 - 2010: बारहवीं विधानसभा - "सुशासन"

  • शासक गठबंधन: एनडीए (जेडीयू + भाजपा)
  • मुख्यमंत्री: नीतीश कुमार
  • उपमुख्यमंत्री: सुशील कुमार मोदी (भाजपा)
  • प्रमुख पहल: क़ानून-व्यवस्था में सुधार, सड़क और पुल निर्माण, महिला सशक्तिकरण (साइकिल योजना, पंचायती राज में 50% आरक्षण)। इसे बिहार के turnaround के रूप में देखा गया।
  • विवरण: नीतीश कुमार ने विकास का वादा पूरा किया और 2010 में भारी जनादेश जीता।

2010-2015: तेरहवीं विधानसभा - एनडीए की जीत और टूट

  • शासक गठबंधन: एनडीए (जेडीयू + भाजपा)
  • मुख्यमंत्री: नीतीश कुमार
  • 2013: भाजपा ने नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार घोषित किया, जिसके बाद नीतीश कुमार ने 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया।
  • नया गठबंधन: 2014 लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद नीतीश ने इस्तीफा दिया और 2015 में राजद और कांग्रेस के साथ "महागठबंधन" बनाया।

2015-2020: चौदहवीं विधानसभा - महागठबंधन और फिर पलटी

  • शासक गठबंधन: महागठबंधन (राजद + जेडीयू + कांग्रेस)
  • मुख्यमंत्री: नीतीश कुमार (जेडीयू)
  • उपमुख्यमंत्री: तेजस्वी यादव (राजद, लालू यादव के पुत्र)
  • विवरण: भाजपा को हराकर शानदार जीत मिली। लेकिन 2017 में तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते नीतीश ने इस्तीफा देकर फिर से भाजपा के साथ एनडीए में वापसी कर ली।

2020-2025: पंद्रहवीं विधानसभा - फिर से एनडीए

  • शासक गठबंधन: एनडीए (भाजपा + जेडीयू + हम-से + वीआईपी)
  • मुख्यमंत्री: नीतीश कुमार (जेडीयू)
  • उपमुख्यमंत्री: तारकिशोर प्रसाद (भाजपा) और रेणु देवी (भाजपा)
  • विवरण: 2020 के चुनावों में एनडीए ने राजद गठबंधन को मामूली अंतर से हराया। भाजपा सीटों में लगभग जेडीयू के बराबर उभरी।
  • अंतिम पलटी (2024): जनवरी 2024 में नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़कर फिर से राजद, कांग्रेस और वाम दलों के साथ महागठबंधन बनाया और 9वीं बार मुख्यमंत्री बने।
  • उपमुख्यमंत्री: तेजस्वी यादव (राजद) और विजय कुमार चौधरी (जेडीयू)।